Thursday, April 6, 2017

जिसे ढूंढ़ा गली गली, वो बगल में मिले

- वीर विनोद छाबड़ा
मुंशीपुलिया पर एक केमिस्ट हैं। आये दिन जाना होता है। आज सुबह भी जाना हुआ। एक साहब पहले से वहां मौजूद मिले। केमिस्ट से किसी का अड्रेस पूछ रहे थे।
केमिस्ट ने मुझे देखा तो बोले - इनसे पूछ लो। यहीं रहते हैं। कॉलोनी में सबको जानते हैं और कॉलोनी वाले इनको। बल्कि यों कहिये कि कॉलोनी का नक्शा इनके दिमाग में रहता है। बस नंबर बताएं और ये वहां पहुंचा देंगे।
बहरहाल, उन साहब मकान नंबर बताया।
मैंने कहा - अरे, यह तो शर्माजी का घर है। मेरे सबसे निकट पड़ोसी। आईये मेरे साथ।
उन साहब ने बताया कि वो कानपुर से आये हैं। यहां मकानों के नंबर भी अजीब हैं। सम (even) एक तरफ और विषम (odd) मेन रोड के उस पार। यहां मेन रोड पर हैवी ट्रैफिक ही इतना ज्यादा है कि क्रॉस करने में पंद्रह-बीस मिनट लग गए।
बातों बातों में ही शर्मा जी का घर आ गया। मैंने उन्हें शर्मा के घर के सामने खड़ा कर दिया। और फिर अपने घर घुस गया। 
कुछ ही मिनट गुज़रे होंगे कि दरवाज़े पर नॉक हुई।
मैंने देखा वही साहब खड़े हैं, जिन्हें मैं पांच मिनट पहले शर्मा जी के घर के सामने छोड़ कर आया था। मुझे हैरानी हुई। उन साहब को सर से पांव तक देखा - अरे, भलेमानुस आप तो शर्मा जी का ही घर ढूंढ़ रहे थे? मैंने आपको वहां छोड़ा भी था।

वो साहब थोड़ा झेंपे - दरअसल, आया तो मैं आपसे ही मिलने था। जिसने मुझे आपका नाम बताया उसे आपका मकान नंबर नहीं मालूम था। बोला था D - 2288 में चले जाना। वहां मेरे रिश्तेदार शर्मा जी रहते हैं। पूरे मोहल्ले की डायरेक्टरी है उनके पास। अब मुझे क्या मालूम था कि जिससे मैं मिलने आया हूं, वो मेरे सामने है और उससे मिलने के लिए मैं उसी से दूसरे के घर का नंबर पूछ रहा हूं।
मैं हंस पड़ा - यह तो कुछ ऐसी बात हो गयी कि जिसे ढूंढा गली गली, वो बगल में मिले।
यह झूठ नहीं सच है। मेरे साथ ऐसी घटनायें होती रहती हैं। कई बार मैं खुद से पूछता हूं कि ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है?

इसका जवाब भी मैं खुद ही दे देता हूं - शायद ऊपरवाले को मालूम है कि मैं फेसबुकिया हूं और पोस्ट करने के लिए मुझे हर वक़्त नए-नए चटपटे मसालों की ज़रूरत रहती है।
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06-04-2017 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016 

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