Tuesday, September 20, 2016

जान हथेली पर।

- वीर विनोद छाबड़ा
कई साल पहले की बात है। हम गोरखपुर से लौट रहे थे। यूपी रोडवेज़ की एक खटारा किस्म की बस थी वो। हमें ड्राइवर के बायीं तरफ की सीट मिल गयी। मज़ा आ गया। सामने का और दायें-बायें का पूरा नज़ारा।
सर्दी के दिन थे। चार बजे जब बस चली थी तो उजाला था। थोड़ी देर में पांच शाम हो गयी और फिर अंधेरा। बिना डिवाईडर की दो लेन की सड़क।
सामने से आते वाहन की फुल बीम पर ऑन हेड लाईट। आंखें चौंधिया जाती थीं। हम आंख पर हाथ रख लेते थे। कलेजा अपनी जगह से हट कर हलक में अटक जाता।
लगा कि अब हुई आमने-सामने भीषण टक्कर हुई ही समझो। क्षण भर में तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं के चेहरे सामने से घूम गए। अगले क्षण सब सलामत महसूस हुआ। आंख खुली। देखा ड्राईवर पर कोई असर नहीं। बड़े इत्मीनान से बस चलाता हुआ दिखा। जाने कब बस को ज़रा सा बायें दबा खतरे से बाहर निकल आया।
राम राम करते हुए सफ़र चलता रहा। तकरीबन आधा रास्ता पार हो चुका था। एक ढाबे पर बस रुकी। कदाचित अयोध्या मोड़ था यह। 
चाय पीते हुए ड्राईवर से हमने पूछा - भइया, सामने से आ रही गाड़ी की हेड लाईट से आपकी आंखें नहीं चौंधियाती क्या?
ड्राईवर ने चाय सुड़की - बिलकुल चौंधियाती हैं। कुछ दिखाई ही नहीं देता।
हम हैरान हुए - फिर बस कैसे चलाते हैं?
ड्राईवर मुस्कुराया - राम भरोसे।
यह सुन कर हमारी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी। थोड़ी देर बाद जब ढाबे से बस चली तो हमने ड्राईवर के साथ वाली सीट का मोह छोड़ दिया। और डरे डरे से, चुपचाप भीगी बिल्ली समान, पीछे की सीट पर बैठ गए। मन ही मन ईश्वर से 'रामभरोसे' ड्राईवर की लंबी ज़िंदगी कामना करते रहे। क्योंकि रामभरोसे की ज़िंदगी रही तो बस सलामत रहेगी और बस सलामत रही तो हमारे अस्थी-पंजर बचे रहेंगे। और अस्थी-पंजर बचे रहे तो हमारा परिवार फला-फूलता रहेगा। 

कुछ बरस बाद हम भी चार पहिया वाहनधारी हुए। स्टीयरिंग संभाला तो अनायास हमें वो 'रामभरोसे' बस का ड्राईवर याद आया। सच कहता था वो कि रात में तो ड्राईविंग रामभरोसे ही रहती है। इसीलिए रात में हमें जब किसी फंक्शन में जाना होता है तो हम किसी किस्म का रिस्क नहीं लेते। दिन में स्कूटर उठाया और मौकाए वारदात सहित संपूर्ण संपर्क मार्ग का जायज़ा ले आते हैं। कहां-कहां मार्ग ध्वस्त है और गड्ढों की नाप-जोख भी कर लेते हैं।

बरसात हो रही तो जान हथेली पर रखने की बजाये हम गाड़ी कहीं पेड़ से बचा कर किनारे खड़ी करना बेहतर समझते हैं। कुछ लोग खराब मौसम में हवा से बातें करना पसंद करते हैं। इसलिये हम चारों इंडिकेटर ब्लिंक वाला स्विच ऑन कर देते हैं।
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20-09-2016 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016

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