Thursday, September 15, 2016

बारात, बराती और कीमत।

- वीर विनोद छाबड़ा
हम अनेक बारातों में बराती रहे हैं। खूब जम कर मजा लूटा है। मनमानी की है। बाराती हैं यानी वीवीआईपी। हमारी बारात में भी ढेर बराती शामिल हुए हैं। और उन्होंने ने भी वही किया है जो हमने किया था। बारात में शामिल होने की पूरी कीमत वसूली। हां वसूली के तरीके सबके अलग-अलग रहे। ज्यादातर तो शांतिपूर्ण रहे। सीधे प्रीतिभोज स्थल पर पहुंचे। खाया-पिया, आशीर्वाद स्वरुप लिफाफा पकड़ाया और चल दिए। लेकिन कुछ ने दारू पीकर हुड़दंग किया। हमें ऐसी कई बारातें याद हैं।

एक बारात में शामिल एक साहब को इतनी चढ़ गयी कि हर आते जाते को रोक कर कंटाप रसीद करने लगे। दुर्भाग्य से एक नीली बत्ती वाली मोटर रोक ली उन्होंने। पहले ड्राईवर को पीटा और हस्तक्षेप करने पर उसमें बैठे डीआईजी साहब पर हाथ उठा दिया। नतीजा यह कि बारात दुल्हन के घर जाने की बजाये दुल्हा सहित थाने पहुंच गयी। कंटाप मारने वाले का नशा तो हिरन हो गया और वो मौका पाकर सटक भी लिया। लेकिन बाकी पियक्कड़ों की सूंघ सूंघ कर पहचान हुई और फिर खूब धुनाई भी। बहुत हाथ-पांव जोड़े तब जाकर छूटे। सुबह चार बजे बारात ठिकाने पहुंची।
एक बार तो भाई लोगों ने ज़बरदस्त चढ़ा ली। नाचने की जगह ज़मीन पर लोटते-पोटते ठिकाने पर पहुंचे। वस्तुतः पूरी बारात ही टुन्न हो गयी। सबके सब जयमाल के लिए बने मंच पर चढ़ गये। मंच टूट गया। दुल्हा-दुल्हन सहित कई लोग चोटिल हो गये।

एक समारोह में बारातियों ने दारू की व्यवस्था न करने के कारण दुल्हन के भाईयों की पिटाई कर डाली। उन्होंने भी कतिपय बारातियों को चिन्हित कर लिया और अगले दिन पलटवार कर दिया। उनके दफ्तर में जाकर पिटाई कर डाली।
हमने दारू के नशे में बारातियो को आपस में भी भिड़ते और मार-पीट करते देखा है। गोलियां भी दागीं गयीं और छुरी भी दिखाई गयी। बड़े-बुजुर्गों ने बड़ी मुश्किल से स्थिति पर काबू पाया। हम एक मित्र की शादी में सीतापुर गये। बारात में मित्र संग बस में बैठ कर गये थे। मित्रों ने इतना धमाल किया कि बवाल हो गया। मित्र के पिताजी ने हम लोगों सामाजिक घोषित कर दिया। अपने खर्च पर ट्रेन से लौटना पड़ा। मित्र कई बारातों में तो 'मोबाईल बार' भी चलती है, बिलकुल फ्री। कभी कभार पीने वाले इसमें सबसे ज्यादा स्नान करते हैं।

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15-09-2016 mob 7505663626
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Lucknow - 226016 

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