Sunday, July 24, 2016

ईश्वर तो आये थे।

- वीर विनोद छाबड़ा 
उस दिन भयंकर आंधी-तूफ़ान आया और साथ में तेज बारिश भी हुई । कई दिन तक रुकी नहीं। शहर में पानी पानी हो गया। लोग घर छोड़ कर किसी सुरक्षित स्थान की तलाश में निकल पड़े।
लेकिन चौधरी जी ने फैसला ईश्वर पर छोड़ दिया। सरकार ने भी अपनी तरफ से कोई कोर कसर नहीं रख छोड़ी। सबसे पहले उन्हें लेने एक कार आई। चौधरी जी ने मना कर दिया। ईश्वर मेरे साथ है।
दूसरे दिन पानी सात फिट और चढ़ गया। चौधरी जी दूसरे माले पर चढ़ गए। उनकी मदद के लिए एक नाव आई। मगर चौधरी जी ने आकाश की और ईशारा कर दिया। भोले बाबा हैं ऊपर, मेरी रक्षा कर रहे हैं।
तीसरे दिन तो गज़ब हो गया। पानी दस फिट और चढ़ गया। चौधरी जी छत की ओर भागे। एक हेलीकाप्टर आया। उसने रस्सी लटकाई। लेकिन चौधरी जी ने मना कर दिया। मेरा रब मेरे दिल विच है। मुसीबत कितनी ही बड़ी क्यों न हो, मैनूं कुछ नहीं होण दा। फ़िकर दी गल नहीं है।
और वही हुआ, जिसका डर था। चौथे और पांचवें दिन पानी और ऊपर चढ़ा। चौधरी जी परलोक वासी हो गए।
ईश्वर के दरबार में प्रवेश के लिए बहुत लंबी लाईन थी। लंबी प्रतीक्षा के बाद चौधरी जी प्रस्तुत किये गए। बहुत गुस्से में थे चौधरी जी। मैं आपके सहारे तीन दिन तक लटका रहा। दिन-रात आपको नाम लिया। हर तरह की मदद ठुकरा दी। लेकिन आप मुझे बचाने नहीं आये। आपने मुझे धोखा दिया। अपना ही नाम आपने बदनाम किया।

ईश्वर ने उनकी फाईल के पन्ने पलटते हुए उनको बड़ी शांति से सुना और कहा - चौधरी जी, मैंने तो आपको तीन बार मदद भिजवाई थी। पहले कार भेजी, फिर नाव और आख़िर में हेलीकाप्टर। अब आपने अवसर का लाभ नहीं उठाया तो मैं क्या करूं?
इससे पहले कि हतप्रद चौधरी जी कोई सफ़ाई देंईश्वर ने कहा - यमराज जी, नेक्स्ट।
नोट - एक सुनी हुई कथा।
---
24-07-2016 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar 
Lucknow - 226016  

No comments:

Post a Comment