Thursday, June 16, 2016

गोलगप्पा बाबू।

- वीर विनोद छाबड़ा
आज हमें पुराने सहकर्मी गोलगप्पा बाबू दिखे। विचित्र प्राणी। सालों साल सुबह ठीक दस बजे दफ्तर पहुंचना। यही एक मात्र अच्छाई रही उनमें। एक बार उन्हें इसीलिए विभाग ने पुरुस्कृत भी किया। 

दफ़्तर पहुंच कर लल्लू बाबू का पहला काम यह होता था कि पान के दो-दो बीड़े मुंह के दोनों तरफ ठूंस लिया करते। मुंह गोलगप्पा हो गया।
गोलगप्पा बाबू पीक बाहर नहीं लुढ़काते थे। अंदर ही अंदर जुगाली करते रहते। किसी ने कुछ पूछा तो सर हिला कर हां या न में जवाब दे दिया। बात करनी हो तो मुंह उठा कर करते ताकि मुंह में भरी पान की पीक नीचे न गिरे। दूसरों को भी पिचकारी छूटने का डर लगा रहता। कम से कम पांच फिट की दूरी मेन्टेन रहती ।
गोलगप्पा बाबू की नाक पर मोटे लैंस और मोटे फ्रेम वाला चश्मा हमने कभी हटा नहीं देखा। जब भी उनसे काम बोला गया तो उन्होंने बताया कि दिखता कम है। सुनाई कम देने की भी शिक़ायत करते रहे।
एक बार गोलगप्पा बाबू की बिना बताये परीक्षा ली गयी। चवन्नी ज़मीन पर गिराई गयी। गोलगप्पा बाबू को न केवल उसकी आवाज़ साफ़ साफ़ सुनाई दी, बल्कि अँधेरे कोने से उसे ढूंढ़ भी लाये।
काम के मामले में गोलगप्पा बाबू एकदम फिस्सडी रहे ही। लेकिन मतलब के लिए सुझाई देना बराबर बना रहा। 
कई बार उनकी शिकायत हुई। मगर यक्ष प्रश्न हमेशा यह रहा कि कौन इस भार को ढोये? हर तीसरे-चौथे महीने एक सेक्शन से दूसरे सेक्शन ट्रांसफर होता रहा। हर चार-पांच साल के बाद लौट कर उसी जगह आ जाते थे, जहां से चले थे। चक्करघिन्नी समझ लीजिये। इस बात पर उन्हें न कोई मलाल था और न ही कोई शर्म। उनकी फिलॉसफी थी कि बस ज़िंदगी चलती रहे। 

एक बार गोलगप्पा बाबू साल भर टिक गए एक जगह। लेकिन यायावर की नियति में रुकना कहां? अंततः ट्रांसफर हो गए। भारी जश्न मनाया गया। दारू-शारू भी चली। गोलगप्पा बाबू की भूरि भूरि प्रशंसा हुई। उन्हें इतना प्यार कभी नहीं मिला था कभी। भावुक हो गए।
अंतिम वक्ता को कुछ ज्यादा ही चढ़ी हुई थी। ऐसा आदमी दिल से ही बोलता है। चाहे बुरा लगे या अच्छा। उन्होंने गोलगप्पा बाबू को गले लगा लिया - अबे गोलगप्पे, तू इतना भावुक मत बन। तेरे जाने के ग़म में हमने इतनी नहीं पी है। पगले, यह तो तेरे जाने की ख़ुशी मना रहे हैं हम।
गोलगप्पा बाबू रिटायर हो गए हैं। पिचक गए हैं। क्षीण काया। बोल नहीं पा रहे थे। लिख कर बताया कि गले में कैंसर हो गया था। अब ठीक हैं। लेकिन आवाज़ चली गयी है।

हमने उनके शीघ्र निरोगी होने की शुभकामना की।
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17-06-2016 mob 7505663626
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