Tuesday, May 10, 2016

और शायद हम ब्लैकिया होते!

- वीर विनोद छाबड़ा
हम हाई स्कूल में थे उन दिनों। सिनेमा देखने का शौक जनून की हद तक। जेब में ज्यादा पैसे नहीं होते थे। बहुत जुगाड़ करना होता था। कभी कभार दस-बीस पैसे उधार भी लेने पड़ते थे। साईकिल स्टैंड का किराया दस पैसे होता था। कभी कभी इसके लिए भी शॉर्टेज हो जाती। ऐसे में शार्ट कट अपनाते। गलियों से निकलते हुए पैदल ही चल देते। सफर चार की बजाये तीन किलोमीटर रह जाता।

तब उम्र हमारी १४+ हुआ करती थी। दिमाग भी थोड़ा कम था। एक दोस्त ने समझा दिया। एक नहीं पांच टिकट लो। चार ब्लैक कर दो, दो-दो रुपए में। तुम्हारा टिकट फ्री। यह बात १९६५ की है। उस ज़माने में ८०, १६०, २४० और बालकनी ३२० पैसे की होती थी।
हमने सोचा एक तजुर्बा कर लिया जाए। कहीं से आठ रूपए का जुगाड़ किया। लंबी लाईन में लग कर १६० पैसे के पांच टिकट एडवांस कराये। फिल्म थी -खानदान।  पहला दिन पहला शो। एक साठ वाला ढाई में ब्लैक हो रहा था। हमारे पास चार टिकट थे। हम खुश हुए कि तो एक साठ वाला दो रूपये में बड़े मज़े में बिक जाएगा। अपना टिकट तो हो गया फ्री में।
लेकिन अचानक दिल धक धक करने लगा। डर लगा, कहीं कोई पकड़ न ले। कोई ब्लैकिया ही न दबोच ले। हमारी मार्किट में तू कैसे घुसा?
सोचा कोई ऐसा मिले जिसे चार टिकट की एकसाथ ज़रूरत हो।
एक आदमी हमें तड़े हुए था। करीब आया। पूछा कितने का है। हमने कहा दो रुपये का। लेकिन चार एक साथ दूंगा। उसने कहा ठीक है। हमने जैसे ही जेब से हाथ बाहर निकाला, उसने हमारी गर्दन दबोच ली। दो-चार गालियां भी दीं। हंगामा खड़ा हो गया। हम भी चिल्लाने लगे कि यह आदमी मेरे टिकट छीन रहा है। लोग पकड़ कर मैनेजर के पास ले गए।
हमने मैनेजर रोते हुए कहा - दोस्तों को आना था। वो नहीं आये। इस आदमी को हम रेट टू रेट टिकट दे रहे थे और यह हमसे मुफ़्त में छीन रहा है। वो आदमी क़सम खा कर कह रहा था कि ये लड़का झूठ बोल रहा है। 
मैनेजर ने हमारी भोली-भाली शक्ल को सर से पांव तक देखा। नहीं, यह लड़का टिकट ब्लैक नहीं कर सकता। उसने हमें चार टिकट के पैसे दे दिए और कहा जब भी टिकट स्पेयर हो, अंजान आदमी को मत बेचो।

हमने मैनेजर साहब को धन्यवाद दिया। हो सकता है वो समझ गये हों कि हम झूठे थे। लेकिन वो शायद हम पर तरस खा गए थे।
मित्रों वो दिन है और आज का दिन। ख़राब से ख़राब सपने में भी टिकट ब्लैक करना तो दूर, ख़रीदा भी नहीं है।
और वो आदमी, जिसने हमे दबोचा था, पहले दिन और पहले शो पर कई बार दिखा और मुस्कुरा कर पूछा - स्पेयर है?

कुछ साल बाद वो आदमी दिखना बंद हो गया। सोचता हूं अगर वो आदमी हमारी ज़िंदगी में न आया होता तो शायद हम ब्लैक-लिस्टेड ब्लैकिए होते। कोई देवता ही रहा होगा। 
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10-05-2016 mob 7505663626
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Lucknow - 226016

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