Friday, April 29, 2016

कुत्ता संवाद।

- वीर विनोद छाबड़ा
एक कुत्ता दूसरे कुत्ते से बात कर रहा है।

पहला कुत्ता - हम खाने-पीने के लिये एक गली से दूसरी गली भटकते हैं। हर एैरे-गैरे की दुत्कार अलग से सुननी पड़ती है।
दूसरा कुत्ता - कई बार आंसू भी आ जाते हैं। मेरी मां बताया करती थी कि किसी ज़माने में हर घर में कुत्ते के लिए डेली एक रोटी रिज़र्व रहती थी।
पहला - हां, सुना तो मैंने भी है। लेकिन अब महंगाई इतनी है कि बचत के नाम पर कुत्ते का हिस्सा बंद हो गया है।
दूसरा - लेकिंन हम अपनी ड्यूटी नहीं भूले। हम दिन-रात फ्री में इनकी रखवाली करते हैं। मेमसाब जब बाज़ार जाती हैं तो दूर तक पीछे-पीछे जाता हूं।
पहला मज़ाक करता है - दिल है कि मानता नहीं।
दूसरा - उधर मीट मार्किट है। वहां दूसरे कुत्तों के गैंग का कब्ज़ा है।
पहला - फिर सात गली के बाद एक बड़ा पूजा घर है। वहां बड़ा कुत्ता गैंग है। वो तो बहुत ही खतरनाक है। हमें पास भी नही फटखने देते। कहते हैं तुम दूसरी  पूजा गली के हो।
दूसरा -  हमने सुना है हमारी गली में कभी अच्छे लोग रहते थे। खूब गोश्त लगी हड्डियां फेंकते थे।
पहला - लेकिन अब तो साहब लोग हड्डी पर कुछ भी लगा नहीं छोड़ते। मक्खीचूस कहीं के।
दूसरा - चूसने वाला हमारा काम अब ये लोग खुद ही करने लगे हैं।
पहला - आजकल इंसान भी....अरे जिसका काम है उसी को करने दो।
दूसरा - सोचता हूं, आज नहीं छोडूंगा। काट लूंगा। जब चार मोटे-मोटे इंजेक्शन लगेंगे तब पता चलेगा बच्चू को कि दूसरे का हिस्सा हड़पने का मतलब क्या होता है।  
अगले दिन साहब को एक कुत्ते ने काट लिया। साहब कोई मामूली नहीं, साहबों का साहब था। हड़कंप मच गया। प्रेस कांफ्रेंस हुई। असेंबली क्वेश्चन हुआ। वीवीआईपी की सुरक्षा नहीं तो आम आदमी की क्या गारंटी। चैनल मीडिया ने भी खोज-खबर ली।
हमारे अख़बार में छपी ख़बर का असर.... नहीं 'सबसे पहले' चैनल की मुहीम का असर। 

नगर निगम की एक कुत्ता गाड़ी आती है। कुत्ते छिपने के लिये इधर-उधर भागते है। लेकिन एक भी बच पाया। 
सुना गया कि सबको गोली मार देंगे। मजबूत दिल वाले जोर जोर से भौंक कर विरोध करने लगे और कमजोर भूं भूं करके रोने लगे। मगर ऐसा कुछ नही हुआ। थोड़ी दूर जाकर सबको छोड़ दिया गया। गोली बाज़ार में बेच खायी गई।

जय हो करप्पशन बाबा की! 
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29-04-2016 mob 7505663626 
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016

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