Thursday, September 10, 2015

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान!

-वीर विनोद छाबड़ा
१९४७ में भारत के विभाजन से उत्पन्न दंगों की विभीषका को देखने और झेलने वाले चंद बंदे ही अब इस दुनिया में शेष हैं।
उस दौर में इंसान को हैवानियत की हद से गुज़रते देख कई लोगों का तो भगवान पर से यकीन ही उठ गया था।

ऐसा ही नज़ारा इंद्र सेन उर्फ़ आईएस जौहर ने भी देखा था। उनका घर-बार लुट गया। इसी पर उन्होंने एक कहानी लिखी - नास्तिक। उस पर फिल्म बनी। इसे ख़ुद जौहर ने ही निर्देशित किया।
विभाजन से उत्पन्न दंगो माता-पिता को क़त्ल होते देखने वाला परेशान अजीत छोटे भाई-बहन के साथ भारत लौट रहा है। उसका भगवान से भरोसा ही उठ गया है।
उसी समय बैकग्राउंड में ये गाना चल रहा है जो अजीत ही नहीं हज़ारों लोगों के दिल में उठ रहे तूफ़ान को प्रतिबिंबित और रेखांकित करता है।
इसे कविवर प्रदीप ने लिखा और अपने ही अंदाज़ में गाया। संगीत उनके पसंदीदा चितलकर रामचन्दर का है।
आज भी ये गाना ताज़ा है। इसका शायद यह है कि आज एक बार फिर इंसान को हैवान बनाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है।  

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान
कितना बदल गया इंसान
सूरज न बदला, चांद न बदला, न बदला आसमान
कितना बदल गया.....

आया समय बड़ा बेढंगा
आज आदमी बना लफंगा
कहीं पे झगड़ा कहीं पे दंगा
नाच रहा नर होकर नंगा
छल और कपट के हाथों
अपना बेच रहा ईमान
कितना बदल गया.....


राम के भक्त रहीम के बंदे
रचते आज फरेब के फंदे
कितने ये मक्कार ये अंधे
देख लिए इनके भी धंधे
इन्हीं की काली करतूतों से
हुआ ये मुल्क मशान
कितना बदल गया इंसान

जो हम आपस में न झगड़ते
बने हुए क्यों खेल बिगड़ते
काहे लाखों घर ये उजड़ते
क्यों ये बच्चे मां से बिछड़ते
फूट फूट कर क्यों रोते
प्यारे बापू के प्राण
कितना बदल गया इंसान।

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10-09-2015 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016

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