Tuesday, August 18, 2015

और पड़ोसन की डिंपी फर्स्ट आ गयी।

-वीर विनोद छाबड़ा
कई साल पहले की बात है। बिटिया की हाई स्कूल की परीक्षा दे रही थी। 
बच्चों को टेंशन। और मां-बाप को उनसे भी ज्यादा। मानों उन्हीं की परीक्षा है। पत्नी जी ने नोटिस जारी किया नो गेस्ट, नो टीवी, नो गाना-बजाना। नो जोर से बात करना और नो हंसना।
कर्फ्यू जैसा माहौल। शूट एंड साईट आर्डर। प्रशासन पूरा का पूरा हाथ में।
पत्नी जी ने पूरा-पूरा ख्याल रखा कि कोई ऐसा पाठ न छूट जाये जो बिटिया ने पढ़ा न हो। अपनी स्टाईल याद आई। जोर-जोर से पढ़ो। दस-दस बार पढ़ो। छत पर टहल-टहल कर पढ़ो। पड़ोसी के आराम में खलल पड़े तो पड़ने दो। अपने दिमाग में तो कुछ न कुछ घुसेगा। कई बार ऐसा भी हुआ कि पहले उन्होंने खुद पढ़ा और पीछे-पीछे बिटियाने रिपीट किया। बीच-बीच में ज़रूरत पड़ी तो भावार्थ सहित अर्थ भी बताती चलती थीं, उदाहरण सहित।
ख़ैर परीक्षाएं समाप्त हुई। फल घोषित हुआ। बिटिया द्वितीय श्रेणी में पास हुई। डबल ख़ुशी इस बात की कि पापा का रिकॉर्ड टूटा। पापा हाई स्कूल में पहली मरतबे फेल हो और बेटी पास। इस तथ्य को सगर्व बताते हुए मोहल्ले भर में में मिठाई बंटी।
 
देर शाम गए पड़ोसन भी मिठाई का डिब्बा ले आई। भाभी जी विशेषतौर पर ये आपके लिए है। मेरी बेटी डिंपी भी पास हो गयी है। फर्स्ट डिवीज़न। हमें तो उम्मीद ही नहीं थी। और ये सब आप ही वज़ह से है।
पत्नी हैरान। मेरी वज़ह से क्यों? भगवान की कृपा से क्यों नहीं? जैसे मैंने अपनी बेटी को सिर्फ पढ़ाया। लेकिन आशीर्वाद तो भगवान जी का था न !
पड़ोसन बोली। भाभी, वो तो ठीक है। भगवान तो हैं ही सबके रखवाले और रास्ता दिखाने वाले। लेकिन सच कहती हूं। यदि आप न होती तो मेरी डिंपी कभी फर्स्ट डिवीज़न तो दूर की बात, कभी पास भी न हो पाती।
पत्नी की हैरानी परेशानी बढ़ती ही गई। क्या कह रही है डिंपी की मम्मी ?
पड़ोसन ने रहस्य से परदा उठाया। दरअसल, जब आप छत पर अपनी बेटी को ज़ोर-ज़ोर से पढ़ाते हुए याद करा रही होती थीं तो ठीक उसी समय मेरी डिंपी भी छत पर पहुंच जाती थी। वहां आपकी आवाज़ साफ़ साफ़ सुनाई देती। डिंपी चुपचाप ध्यान से आपको सुनती रही। और इस तरह उसने भी रट लिया। मेरी भी मेहनत बच गयी। और फिर आप तो जानती ही हैं कि मैं कम पढ़ी-लिखी हूं। इसके पापा को तो दुकान से ही फुरसत नहीं मिलती।

पत्नी को तो काटो खून नहीं। सारी मेहनत और फ़ायदा कोई और उठा ले गया। बोये कोई, काटे कोई।
और ये सिलसिला आगे भी जारी रहा। न पत्नी अपनी आदत से बाज़ आई और न पड़ोसन की बेटी डिंपी। हमारी बिटिया सेकंड आती रही और डिंपी फर्स्ट।
बीए में आकर ये सिलसिला टूटा। इसलिये कि पडोसी किरायेदार थे। कहीं और चले गए।
और उस दिन सबसे ज्यादा प्रसन्न पत्नीश्री थीं।
बस यूं ही यह घटना याद आ गयी।
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18-08-2015 mob 7505663626
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