Tuesday, July 14, 2015

उत्तर प्रदेश में यह हो क्या रहा है?

-वीर विनोद छाबड़ा
नेता जी, मुझे आपके दो रूप नज़र आते हैं। एक तरफ़ तो आप दानिशदां, अदीबों-साहित्यकारों, शायरों-कवियों और पत्रकारों के साथ खड़े नज़र आते हैं। उन्हें यश भारती से मालामाल करते हैं। उनकी ग़ुरबत आपसे बर्दाश्त नहीं होती है। गाहे बगाहे सबकी मदद करते रहते हैं। कोई आपके द्वार से खाली हाथ नहीं लौटता। ज़रूरत पड़ती है तो किसी बीमार को देखने उसके घर या अस्पताल चले जाते हैं। दुःख में भी साथ दीखते हैं और सुख में भी। दोस्तों के दोस्त हैं। विपक्ष से भी दोस्ती निभाते हैं, सामने के दरवाज़े से।

लगता है आपसे बड़ा मसीहा कोई नहीं। सांप्रदायिकता के विरुद्ध मोर्चा आपने बरसों पहले खोला तो आज तक अडिग हैं अपनी स्टैंड पर।
यह आपका पॉजिटिव पक्ष है। जिस पर सब निहाल हैं।
लेकिन परली तरफ झांकते हैं तो निराशा होती है। धक्का लगता है। यह कौन से रूप है आपका। अपने चेलों के बहकावे में आ जाते हैं आप। तहकीकात नहीं करते कि हक़ीक़त क्या है।
अभी थोड़े दिन पहले आपने एक आईपीएस को हड़का दिया। किस वज़ह से और किस अधिकार से? आपके पास कोई वैधानिक पद नहीं है। माना कि वो आईपीएस और उसकी पत्नी आये दिन कोई न कोई आरटीआई लगाये फिरते हैं या कोई मोर्चा खोले रखते हैं। इससे सरकार और उसके मंत्रियों-संत्रियों की नाक में दम हुआ करता है।
अरे सर, करने दो। जितना छेड़ेंगे उतनी हवा मिलेगी। आग ज्यादा फैलेगी। अब क्या मिला? वो आईपीएस चला गया थाने में रिपोर्ट लिखवाने। आपने उसे सस्पैंड करा दिया।
बढ़त किसे मिली? आपका तो नुकसान हो गया। जनता में धारणा क्या बनी? आपकी छवि ही ख़राब हुई न। लोग बहनजी का शासन याद कर रहे हैं - कम से कम गुंडागर्दी पर तो कंट्रोल था।
और मीडिया तो आपके और आपके सपुत्र के ख़राब लॉ एंड आर्डर वाले कुशासन के पीछे हाथ धो कर पड़ा ही है। गुजरात में क्या हो रहा और बंगाल में क्या हो रहा है? कर्णाटक और तमिलनाडु में तो मानों गुंडागर्दी है ही नहीं। हिमाचल और उत्तरांचल में सब ठीक-ठाक है? कभी कोई रेप या लूट या हत्या वहां नहीं होती? महाराष्ट्र और एमपी तो बिलकुल साफ़-सुथरे हैं! व्यापमं घोटाले को दबाने के लिए जितनी भी हत्याएं हुई हैं वो सब विपक्ष की साज़िश है। एमपी का गौरव घटाने की चाल है। मीडिया बहुत मुखर नहीं है उनके प्रति।
आप और आपके बेटे की सरकार प्रतिरोध भी नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश के विकास की जब भी बात होती है तो लॉ एंड आर्डर को लेकर कोई न कोई गुल-गपाड़ा हो जाता है।

मेरी आपसे हाथ जोड़ कर गुज़ारिश है कि लूट-खसोट और जुर्म के मामले में किसी को डिफेंड मत करें। चाहे आपका कोई खास अपना हो या पराया।
माना कि सांप्रदायिकता बड़ा मुद्दा है लेकिन बराये मेहरबानी पब्लिक में यूपी सरकार के प्रति क्या धारणा बन रही है, तत्काल उस तरफ़ ध्यान दें। ऐसा न हो कि २०१७ आपके हाथ से निकल जाये। इस बार सत्ता हाथ से गई तो ऐसा न हो कि आपकी पार्टी हाशिये पर चली जाये। क्योंकि हर पांच साल पर बाज़ी पलट कर हाथ में आने के दिन जाने वाले हैं।
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-वीर विनोद छाबड़ा
१४-०७-२०१५

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