Monday, May 4, 2015

साणु कुछ नहीं चाहिए, हैंजी !

-वीर विनोद छाबड़ा
पंजाबियों के बारे में कहा जाता कि दहेज़ लेने-देने और नकदी का चलन इनके यहां नहीं चलता।
पंजाबी होने के नाते मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि ये सोलह आने सही है।
अभी कल ही की तो बात है।
मुंडे के मम्मी-डैडी कुड़ी के मम्मी-डैडी से कह रहे थे कि बस बरात का स्वागत शानदार होना चाहिए। हैंजी।
खाने के लिए फलां फलां आइटम ज़रूर रखणा, साडे जवाई नु पसंद है। हैंजी।
इसके साथ ही कान में धीरे से डाला जाता है जवाई के मम्मी-पापा का 'खास ख्याल' रखना। हैंजी। आप भी जवाई वाले हो, समझते ही होगे। हैंजी।
और मुंडे के फुफड़-मासड़ का एक-एक जोड़ा सूट ज़रूर होना चाहिए। दरअसल ये बिरादरी अक्सर रूठी रहती है। हैंजी।
मुंडे की बहन का तो ध्यान आप रखें ही ना। एक ही बहन है। बड़ा प्यार है भाई बहन में जी। कल को उसकी भी शादी हो जानी है। हैंजी।
मुंडे के यार-दोस्त तो बहुत ही वधिया हैंजी। बस थोड़ा उछल-कूद और 'मस्ती' वाले हैं। हैंजी। जवानी विच खून तो गरम होता है ही। हैंजी। 'इंतेज़ाम' थोड़ा टॉप दा रखना। हैंजी। मगर हैं सब उच्चे घरों से। हमारे मुंडे ने तो शुरू से ही  उच्चे घर पर ही हाथ लगाया है। 
देखिये आप को तो मालूम ही है कि मुंडे की नौकरी बहुत अच्छी है। हैंजी। कंपनी वाले कह रहे हैं पोस्ट की इज़्ज़त रखने वास्ते कार ज़रूरी है। वो तो एडवांस भी दे रहे हैं। हैंजी। पर मुंडा कहता है पहले छोटी बहन दा व्याह और फिर कार। हैंजी। और फिर कुड़ी नौकरी ते करदी ही है। दोनों मिल कर ले लेंगे कार। हैंजी। मैं तो कहता हूं बहु बड़ी भाग्य वाली आ रही है। जल्दी ही कार क्या हवाई जहाज भी आ जायेगा। हैंजी।
बाकी टीवी, ऐसी, फ्रिज, माइक्रोवेव ओवन, सोना-चांदी जेवर तो तुस्सी अपणी कुड़ी के वास्ते तो दे ही रहे होगे। हैंजी। 
और बाकी तो आप समझदार हैं ही। हैंजी। हमें अपणे लिए कुछ नहीं चाहिए। रब का दिया सब कुछ है। हैंजी।
हम तो असूल वाले हैं। हैंजी। हमारे पास अपना जो कुछ है, इन बच्चों का है। हैंजी। हमने तो मकान का एक हिस्सा भी लड़की के नाम कर दिया है। हैंजी। कल को शादी हो जानी है उसकी। हैंजी। रब न करे कल शादी के बाद कुछ कमी-पेशी हो जाये तो उसका मकान में हिस्सा तो होगा ही। हैंजी। दर-दर भटकेगी तो नहीं न। हैंजी।
साणु कुछ नहीं चाहिए। हम मियां-बीवी तो तीर्थ चले जाएंगे। हैंजी। बस एक विनती और.....
कुड़ी के डैडी हाथ जोड़ कर खड़े हो जाते हैं - बस चोपड़ा साब। मैं समझ गया। कुल्लू-मनाली हनीमून बाई-एयर के रिटर्न टिकटों का इंतेज़ाम भी कर दूंगा। कुछ बच जाए तो मोबाईल कर देना।
मुंडे के मम्मी-डैडी ये सोचते हुए चल देते हैं कि कुछ रह तो नहीं गया है।
और कुड़ी के डैडी मन ही मन बड़बड़ाते हैं सालों ने 'हैंजी-हैंजी' करते हुए सब कुछ तो मांग लिया और कहते हैं साणु कुछ नहीं चाहिए। जान ले कर मानेंगे ये चमगीदड़? रब करे अपनी कुड़ी वास्ते आपको ऐसा समधी न मिले। 
-वीर विनोद छाबड़ा 
04 May 2015 Mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar Lucknow-226016

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