Wednesday, August 27, 2014

हिंदी मीडियम में अंग्रेज़ी ज्ञान!

-वीर विनोद छाबड़ा

मित्रों। दसवें तक अंग्रेजी में हाथ थोड़ा कम रहा ।
घर में उर्दू माहौल था। पिताजी अंग्रेज़ों के ज़माने के दसवां पास थे मगर उर्दू और हिंदी के साथ अंग्रेज़ी के नावेल फर्राटे से पढ़ लेते थे।
कुछ पिताजी ने, कुछ क्रिकेट की कमेंटरी, स्कोर बोर्ड और सिनेमा के विज्ञापन पढ़ने के शौक ने और कुछ एस एल शर्मा की न्यू लाइट इन जनरल इंग्लिश की मदद से अंग्रेज़ी ज्ञान अर्जित किया। इंटरमीडिएट तक अंग्रेज़ी सब्जेक्ट भी रहा। बीए में एशियन कल्चर और एम ए में पोलिटिकल साइंस की अधिकतर पुस्तकें अंग्रेज़ी की ही पढ़ी। इंटरनेशनल आर्गेनाईजेशन और इंटरनेशनल रिलेशंस में रूचि ज्यादा रही।
इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में नौकरी की। १९९० में जनता दल की  सरकार आने से पहले तक सारा काम अंग्रेज़ी में होता रहा।
मक़सद ये बताना है कि काम चलाऊ से थोड़ा बेहतर अंग्रेज़ी का ज्ञान रहा है हमें।
जब डबल एमए पास पत्नी के अंग्रेज़ी ज्ञान का हमें ज्ञान हुआ तो थोड़ी राहत मिली। वो मेट पर रैट, कैट आफ्टर रैट, सिट ऑन चेयर, टेबुल पे डिनर रेडी टाइप की अंग्रेज़ी में प्रवीण थीं। कभी कभी एज़ ए मैटर ऑफ़ फैक्ट भी बोल देती थी। कम से कम  ससुराल में तो इज़्ज़त बची ही रही।
ये बात नब्बे के दशक के मध्य की है। बेटा एक अंग्रेजी स्कूल में था। सातवें या आठवें में रहा होगा। पता नहीं कैसी अंग्रेज़ी पढाई जाती थी कि अंग्रेज़ी का एक सेंटेंस भी ढंग से न बोल सकने वाली हमारी मेमसाब को बच्चे को पढ़ाने में ज़रा भी दिक्कत नहीं होती थी।
एक दिन स्कूल से बेटे को 'पेट्रियटस ऑफ़ इंडियन फ्रीडम स्ट्रगल' पर निबंध लिखने को कहा गया।
मेमसाब बोली, पापा की अंग्रेज़ी अच्छी है उनसे हेल्प ले लो।

बड़ी ख़ुशी हुई कि मेमसाब ने कहीं तो हमारी लियाकत का लोहा माना। हमने बेटे को बड़ी ख़ुशी और उत्साह से निबंध लिखवा दिया। आखिर में ये भी लिखवा दिया - हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है। 
दूसरे दिन टीचर ने रिमार्क लिखा - वेरी पूअर। री-राईट।
अब मेमसाब की बारी थी। क्या गत हुई हमारी और हमारी अंग्रेज़ी की, हम ही जाने।
मैंने लाख समझाया कि हमारी हाई क्लास अंग्रेज़ी टीचर समझ में नहीं आई होगी। लेकिन सब बेकार। मेमसाब को तो हमेशा से हमारे ज्ञान पर शक रहा ही है। अब बेटे की नज़रों से भी गिर गए।
बहरहाल मेमसाब की मदद से बेटे ने फिर से निबंध लिखा। टीचर ने लिखा - एक्सीलेंट।
हमने माथा पीट लिया। राम मिलाइंन जोड़ी एक अंधा एक कोढ़ी। अंधेर नगरी चौपट राजा। कई कहावतें और मिसालें हमारे दिमाग में कई दिन तक गर्दिश करती रहीं।
इससे हमें नुकसान और मेमसाब को फ़ायदा ये हुआ कि उनकी रोज़ाना की अंग्रेज़ी में एक और पंक्ति जुड़ गयी - एज़ अ मैटर ऑफ़ फैक्ट आईएम मोर इंटेलीजेंट देन यू.… आईएम मोर क्लेवर देन यू।
मित्रों आजकल जिस तरह की अंग्रेज़ी मोटी रक़म वसूल कर पढ़ाई, सिखाई और रटाई जा रही है उससे ज्यादा तो हमारे ज़माने के लड़के अंग्रेज़ी फ़िल्में देख देख कर और नेशनल हेराल्ड और पायनियर के स्पोर्ट्स पेज पर छपी क्रिकेट की ख़बर के हिज़्ज़े हिज़्ज़े पढ़ कर कर सीख जाते थे।
हमारे दौर में इस तरह के एकलव्य आये दिन पैदा होते रहते थे।


-वीर विनोद छाबड़ा  २७ ०८ २०१४ मो ७५०५६६३६२६

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