Friday, December 27, 2013

आजा नच लै!

बारातों में लड़के-लड़कियों को नाचते -कूदते और गाते देखता हूँ तो अपना ६० व ७० का दशक याद आता है जब हम भी लड़के थे और अपनी मंडली के साथ कम सेप्टेम्बर की धुन पर खूब ट्विस्ट करते थे। ये देश है वीर जवानो का…ले जायेंगे ले जायेंगे दिल वाले दुल्हनियां …आज मेरे यार की शादी है…मेरा यार बना है दूल्हा…आदि खूबसूरत गानों को बैंड-बाजे बेसुरा बना देता थे मगर फिर भी जम कर डांस होता था, भले ही दूसरों को हम भालू -बंदर दिखते हों। मगर ख़ुशी होती है कि मेरे दौर के गानों के धुनें बारातों में आज भी जवां हैं, भले ही अंग्रेज़ी ट्विस्ट का वक़्त ख़त्म हो गया है। इसी संबंध में जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ दिनांक २७.१२.२०१३ के उलटबांसी स्तंभ में प्रकाशित मेरा निम्नलिखित लेख -

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